Translation Surah Ibrahim Ayat 31

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

قُلْ لِعِبَادِيَ الَّذِينَ آمَنُوا يُقِيمُوا الصَّلَاةَ وَيُنْفِقُوا مِمَّا رَزَقْنَاهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً مِنْ قَبْلِ أَنْ يَأْتِيَ يَوْمٌ لَا بَيْعٌ فِيهِ وَلَا خِلَالٌ 31

(ऐ रसूल) मेरे वह बन्दे जो ईमान ला चुके उन से कह दो कि पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करें और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी है उसमें से (ख़ुदा की राह में) छिपाकर या दिखा कर ख़र्च किया करे उस दिन (क़यामत) के आने से पहल जिसमें न तो (ख़रीदो) फरोख्त ही (काम आएगी) न दोस्ती मोहब्बत काम (आएगी)