وَلَهُ مَا سَكَنَ فِي اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ ۚ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ 13
हालॉकि (ये नहीं समझते कि) जो कुछ रात को और दिन को (रुए ज़मीन पर) रहता (सहता) है (सब) ख़ास उसी का है और वही (सब की) सुनता (और सब कुछ) जानता है