Translation Surah Al-Baqarah Ayat 105

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

مَا يَوَدُّ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ وَلَا الْمُشْرِكِينَ أَنْ يُنَزَّلَ عَلَيْكُمْ مِنْ خَيْرٍ مِنْ رَبِّكُمْ ۗ وَاللَّهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ 105

ऐ रसूल अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया वह और मुशरेकीन ये नहीं चाहते हैं कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से भलाई (वही) नाज़िल की जाए और (उनका तो इसमें कुछ इजारा नहीं) खुदा जिसको चाहता है अपनी रहमत के लिए ख़ास कर लेता है और खुदा बड़ा फज़ल (करने) वाला है