Translation Surah An-Nahl Ayat 127

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

وَاصْبِرْ وَمَا صَبْرُكَ إِلَّا بِاللَّهِ ۚ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَلَا تَكُ فِي ضَيْقٍ مِمَّا يَمْكُرُونَ 127

और (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र कर भी नहीं सकते और उन मुख़ालिफीन के हाल पर तुम रंज न करो और जो मक्कारीयाँ ये लोग करते हैं उससे तुम तंग दिल न हो