Translation Surah Yusuf Ayat 38

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

وَاتَّبَعْتُ مِلَّةَ آبَائِي إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ ۚ مَا كَانَ لَنَا أَنْ نُشْرِكَ بِاللَّهِ مِنْ شَيْءٍ ۚ ذَٰلِكَ مِنْ فَضْلِ اللَّهِ عَلَيْنَا وَعَلَى النَّاسِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَشْكُرُونَ 38

और मैं तो अपने बाप दादा इबराहीम व इसहाक़ व याक़ूब के मज़हब पर चलने वाला हूँ मुनासिब नहीं कि हम ख़ुदा के साथ किसी चीज़ को (उसका) शरीक बनाएँ ये भी ख़ुदा की एक बड़ी मेहरबानी है हम पर भी और तमाम लोगों पर मगर बहुतेरे लोग उसका शुक्रिया (भी) अदा नहीं करते